मैनें तुम्हें नहीं देखा
तुम मेरे अस्तित्व तक से नावाकिफ थे।
लोग कहते हैं,
तुम्हारा अस्तित्व तभी ख़त्म हो चुका था ,
झूँठ है,
ये सच्ची खबर अफसानें हैं झूँठों के ;
वो तुम कब मरे थे ,
वो तो तुम मुझमें जिंदा हुए थे .
धड़क रहे हो तुम ;
मेरे साँस में आज भी
चहक रहे हो तुम ;
मेरी जुबां पर यत्र -तत्र -जगह सभी .
आईना तुम्हे ही परावर्तित करता है
मेरे इस रूप में,
तुम आज भी खनकते हो
मेरी आवाज़ में,
मेरे शरीर में तुम,
मेरी आत्मा में तुम,
मेरे दुर्गुणों में तुम,
मेरे सद्गुणों में तुम,
है अब भी वही अच्छाई -बुराई का दौर,
जो तुमनें किया था इस जहाँ के ठौर।
लोग कहते हैं;
तुम बहुत ही अच्छे थे
(वो तो मैं भी हूँ),
वही कहते हैं;
तुम बड़े सयानें थे
(तो क्या मैं नहीं हूँ?).
तुम मरे नहीं
तुम तो आज भी मुझमें जिंदा हो
तुम्हारा अस्तित्व आज भी मुझमें ज़िन्दां* है
तुममें मैं था
मुझमें तुम हो
मनानें दो दुःख
मेरी मृत्यु का ज़मानें को
मनानें दो खुशियाँ
तुम्हारे जन्म का ज़मानें को .........................
भावार्पण'
*ज़िन्दां -क़ैद
तुम मेरे अस्तित्व तक से नावाकिफ थे।
लोग कहते हैं,
तुम्हारा अस्तित्व तभी ख़त्म हो चुका था ,
झूँठ है,
ये सच्ची खबर अफसानें हैं झूँठों के ;
वो तुम कब मरे थे ,
वो तो तुम मुझमें जिंदा हुए थे .
धड़क रहे हो तुम ;
मेरे साँस में आज भी
चहक रहे हो तुम ;
मेरी जुबां पर यत्र -तत्र -जगह सभी .
आईना तुम्हे ही परावर्तित करता है
मेरे इस रूप में,
तुम आज भी खनकते हो
मेरी आवाज़ में,
मेरे शरीर में तुम,
मेरी आत्मा में तुम,
मेरे दुर्गुणों में तुम,
मेरे सद्गुणों में तुम,
है अब भी वही अच्छाई -बुराई का दौर,
जो तुमनें किया था इस जहाँ के ठौर।
लोग कहते हैं;
तुम बहुत ही अच्छे थे
(वो तो मैं भी हूँ),
वही कहते हैं;
तुम बड़े सयानें थे
(तो क्या मैं नहीं हूँ?).
तुम मरे नहीं
तुम तो आज भी मुझमें जिंदा हो
तुम्हारा अस्तित्व आज भी मुझमें ज़िन्दां* है
तुममें मैं था
मुझमें तुम हो
मनानें दो दुःख
मेरी मृत्यु का ज़मानें को
मनानें दो खुशियाँ
तुम्हारे जन्म का ज़मानें को .........................
भावार्पण'
*ज़िन्दां -क़ैद
