अभावग्रस्तता का शिकार
आधुनिक कलाकृतियों के कैनवस सा
नाव के पीछे छूट्ती धार की तरह
मैं जब -2 खुद को अनुभूत करता हूँ
तब याद करता हूँ,
दुहरी हुयी
मगर दुलकी चाल से चलती हुयी
घुटनों तक गंगा में खड़ी हुयी माई को
जिसने पुराने फैशन के ब्लाउज में ढँकी
मगर दिखती
चिपकी छातियों में फँसी
काले बेग से न चलने वाले दस पैसे से
गंगा को माँ बना दिया था .
गंगा को जटाओं में बाँधना
कठिन नहीं
मैं जानता हूँ .............
आधुनिक कलाकृतियों के कैनवस सा
नाव के पीछे छूट्ती धार की तरह
मैं जब -2 खुद को अनुभूत करता हूँ
तब याद करता हूँ,
दुहरी हुयी
मगर दुलकी चाल से चलती हुयी
घुटनों तक गंगा में खड़ी हुयी माई को
जिसने पुराने फैशन के ब्लाउज में ढँकी
मगर दिखती
चिपकी छातियों में फँसी
काले बेग से न चलने वाले दस पैसे से
गंगा को माँ बना दिया था .
गंगा को जटाओं में बाँधना
कठिन नहीं
मैं जानता हूँ .............
