दूर कहीं
पेड़ों के झुरमुट के पीछे
उड़ता हुआ धुआं
उड़ता हुआ दिख रहा है.
मैं सोचता हूँ,
शायद ये किसी के ख्वाब बुनने के लिए,
हाड़ -तोड़ श्रम करती हुयी,
आईने की थकान है।
यह थकान ही तो है,
जो देखते ही देखते
उड़ जाया करती है
किसी अजानी जगह ,
किसी मजदूर के चर्बी की तरह......