Sunday, September 23, 2012

जवाब हवा का ..

हवा से मैंने पूछा
हवा!
तूँ ही बता
तूँ फिरता रास्तों पर
तूँ जाने राज सारे 
वो जिसको जानता मैं
फूल के मानिंद हूँ
वो फूलों सा खिला है
या नहीं ,
हवा की शर्म में डूबी हुयी
मुसकान को
महसूस मैंने तब किया
उसने जब कहा
जिसे तुम जानते हो फूल जैसा
अभी तो वह कली है
कली का फूल बनना
अभी तो शेष है ........