Sunday, September 2, 2012

जब मैं बैठता हूँ ....

जब मैं बैठता हूँ
सोचता हूँ
क्या भर सकूँगा रंग मैं इस कैनवस में?
जो कुदर्शन हो चुका है।
कैनवस विधवा हुआ है
रंग से ही
जो बिना अनुपात के फैले हुए हैं।
क्या कैनवस में रंग को अनुपात में फैला सकूँगा ?
जबकि मैं खुद रंग हूँ।