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बाबेल टावर सरीखा
पेड़ों की शाख ,
हाँथों की पहुँच से दूर
हौसलों की ज़द में।
पूरब के गर्भ में
सूरज ने साँस ली
हवाओं ने शोर की
ड्योढी पर बच्चों ने दस्तक दी।
आमों के बौर
बाग़ के मालिक की बपौती हैं;
हवाओं ने चुनौती दी
माटे उधरा गए
आदमी-आदमी के बीच दूरी सरीखा,
कोयल की आंख गीली है
बंद दरवाजे की साँकल खड़की
राजा फकीर हो गया।
सूरज का गीत,
अस्ताचल का कोरस
नक्षत्रों में अवसाद भरता है ;
मेरे गीतों में सीलेपन की खुशबू है।
रूई के फाहों नें रक्त निगलनें से इनकार कर दिया है।
भावार्पण~~~
बाबेल टावर सरीखा
पेड़ों की शाख ,
हाँथों की पहुँच से दूर
हौसलों की ज़द में।
पूरब के गर्भ में
सूरज ने साँस ली
हवाओं ने शोर की
ड्योढी पर बच्चों ने दस्तक दी।
आमों के बौर
बाग़ के मालिक की बपौती हैं;
हवाओं ने चुनौती दी
माटे उधरा गए
आदमी-आदमी के बीच दूरी सरीखा,
कोयल की आंख गीली है
बंद दरवाजे की साँकल खड़की
राजा फकीर हो गया।
सूरज का गीत,
अस्ताचल का कोरस
नक्षत्रों में अवसाद भरता है ;
मेरे गीतों में सीलेपन की खुशबू है।
रूई के फाहों नें रक्त निगलनें से इनकार कर दिया है।
भावार्पण~~~
