बादलों की धडकनें बोतलों में घुप हैं
तम्बुओं तले कई अतीत
इतिहास-दंभ की किरचों में लयबद्ध हैं,
वजहे -सुबह की आड़ में .
हरेक पेड़ की सर्दियाँ उनकी अपनी हैं
हरेक पेड़ के पतझड़ की तरह.
स्याही-दान की तरह ज़रूरी फिर भी गैर-ज़रूरी .
शब्दों ने सबद की कब्र खोदी है
वस्तुतः का चेहरा तेजाब में झुलसा हुआ है
बासी अखबार सा .
पत्थरों में छिपे मूर्ति की तरह
मूर्ति में पत्थर व्याप्त है
दीवारों के दायरे में भी बाहरीपन मुक्त है.
सोने की लकड़ियों पर मोक्ष की चिता सजी है
गोया कोयले सुनहरे हों .
खदान के आकाश में नया नक्षत्र आविष्कृत हुआ है
शब्दों को देशनिकाला देने के पश्चात् ,
सम्भावना सीमा से मुक्त है
गर्भ में मसालों की गंध है
प्रसवोपरांत कहानियों नें हकीकत का मौर बांधा
जनक के अक्ष घनें कुहासे में कहीं भौंरा हुए हैं ............
तम्बुओं तले कई अतीत
इतिहास-दंभ की किरचों में लयबद्ध हैं,
वजहे -सुबह की आड़ में .
हरेक पेड़ की सर्दियाँ उनकी अपनी हैं
हरेक पेड़ के पतझड़ की तरह.
गंगा के पाट विशाल हैं
स्वयं गंगा घुटनों के नीचेस्याही-दान की तरह ज़रूरी फिर भी गैर-ज़रूरी .
शब्दों ने सबद की कब्र खोदी है
वस्तुतः का चेहरा तेजाब में झुलसा हुआ है
बासी अखबार सा .
पत्थरों में छिपे मूर्ति की तरह
मूर्ति में पत्थर व्याप्त है
दीवारों के दायरे में भी बाहरीपन मुक्त है.
सोने की लकड़ियों पर मोक्ष की चिता सजी है
गोया कोयले सुनहरे हों .
खदान के आकाश में नया नक्षत्र आविष्कृत हुआ है
शब्दों को देशनिकाला देने के पश्चात् ,
सम्भावना सीमा से मुक्त है
गर्भ में मसालों की गंध है
प्रसवोपरांत कहानियों नें हकीकत का मौर बांधा
जनक के अक्ष घनें कुहासे में कहीं भौंरा हुए हैं ............
