Wednesday, February 6, 2013

अनुभव

विचलित मन का मौन
पालित गर्भ की उपज है
जो प्रतिध्वनित है गंग-पाट की उबासी का .
मेरी खोज,
सुबह से शाम
शाम से सुबह
व्यस्त है
गृहस्थी को सँवारने की कशिश सा.
नश्वरता की कहानियां
दरअसल हकीकत हैं
अकस्मात् आयी मृत्यु नें प्रेयसी के होठों पर दाँत रखा
ओस पर आँसू सरीखा
मोक्ष अपनी संभावनाओं में सीमित है .