थकी-थकी सी गति
पलायन है
ठहराव से।
सफलता की अहर्निश कहानियों की तरह,
सिकुड़न,
कामनाओं पर हावी है,
जैसे माथे की लकीरें दरारें हों
जो बहुप्रतीक्षित हैं
भरे जानें को।
मेरा शरीर हर पल बोझिल सा
आत्मा तले,
मेरी आत्मा प्रति क्षण तैरती हुई
हवाओं पर
हर एक मकान के मेहमान सा
आनंदपेक्षी !
मध्यरात्रि की टहलक़दमी
बेचैनी का परिणमन है,
घरौंदे सीमा-समाप्त का बोर्ड हैं
अनंत-मेघ की श्रृंखला
अमेघों के पार
मुझे खींचती है अपनीं ओर।
पलायन है
ठहराव से।
सफलता की अहर्निश कहानियों की तरह,
कामनाओं पर हावी है,
जैसे माथे की लकीरें दरारें हों
जो बहुप्रतीक्षित हैं
भरे जानें को।
मेरा शरीर हर पल बोझिल सा
आत्मा तले,
मेरी आत्मा प्रति क्षण तैरती हुई
हवाओं पर
हर एक मकान के मेहमान सा
आनंदपेक्षी !
मध्यरात्रि की टहलक़दमी
बेचैनी का परिणमन है,
घरौंदे सीमा-समाप्त का बोर्ड हैं
अनंत-मेघ की श्रृंखला
अमेघों के पार
मुझे खींचती है अपनीं ओर।