Tuesday, May 14, 2013

अनुभव

बगीचे के मासूम बच्चे
गुदगुदाते हैं मुझे
पाँव तले
असबाब सुरक्षित हैं आकाश तले।
फिसलती सीढ़ियाँ उतरता हूँ
फिसलता हुआ देखता हूँ
अपनें साये को
मेरी पकड़ मज़बूत है।
अनामंत्रित आकाश मशगूल है
मेरे साथ नाचनें में 
सम्मोहित सा
मेरी तरह,
आकाश, मैं, मेरा साया
हर तंत्र से स्वतंत्र
'जो है' का अनुभव
काले पर सफ़ेद की तरह।