Saturday, July 28, 2012

! हकीकत से दूर !

कभी -२
चलते -२
मैं खो जाता हूँ
अपने ही विचारों में .

कभी ख्वाबों में
भविष्य को बुनता हुआ
अनुभूत करता हूँ
अपनी विशिष्टता ,
तो कभी
कोशिश करता हूँ
अपने साये की आकृति को पहचानने की .
अतीत की परछाइयों में
मैं जब भी
खुद को तलाशता हूँ ,
उस वक़्त ,
मैं, "मैं" नहीं
एक ख्याल भर बचता हूँ ,
हकीकत से दूर
बस एक ख्याल ...........