Saturday, July 28, 2012

! दर्पण !

ना बोलकर भी
कितना कुछ कह जाता है
ये दर्पण .

हमें करता है
हमारा ही अर्पण.

वर्तमान की सच्चाइयों के साथ ,
रूपशः , सत्यशः ......