Thursday, March 14, 2013

तलाश

सूरज के पंखों पर सवार
मैं बदहवास दौड़ का अंश
ढलान से मुतमईन हूँ,
गली-कूचों में सूरज के पाँव उलटे हैं।
मैं,
उन्मादी भीड़ का उन्मादी सदस्य!
या शायद जनक,
पोषक भी,
मृत्यु की प्रतिभूति थामें।
सपनीली निश्चितता से निराश
धावक थक चुका है, 
छतीली शांति
बादली गर्जना में गड्ड-मड्ड है।
पाँव पर उग आये फफोले
दिलों के घाव हैं
थकान का परिणाम भी,
बोतलों में बन्द जिन्न
लापता हैं
समय की गवाही है,
फफोले निकले हैं तलाश में
मवादी रास्तों पर।


 
Attatched Photo is clicked by dear Parijat.Street baby dog is with me. Prem'