ह्रदय की अँजुरी भर प्यास
मस्तिष्क नें सोख ली
मस्तिष्क की भूँख तृप्त हो गयी
ह्रदय के चूल्हे पर
सारी सँवेदनायें विकलाँग हो गयीं
कुछ है जो कैसे कहा जाये ?
एक लम्बा गद्य
कविता हो गया
आसाढ़ की दुपहरी सावन हो गयी
समेट लिया सब कुछ को एक मुट्ठी पानी नें
डूबने वाले डूब आये
मुनादी कर दो
किसी के नमाज़ का वक़्त हो आया है
कुछ है जो कैसे सुना जाये ?
भीतर का तहखाना
जैसे डेहरी का पाँवदान
अनमोल बेमोल हो गए
हो जानें दो भोथरा हर एक धार को
हर एक उजाला अँधेरा ही था
उजाले ने अनुनाद की
गौरैया की आलाप एक नयी रागमाला थी
हवाओं की छेनियाँ
बुरूश से
कुछ है जो कैसे देखा जाये ?
इच्छाओं का समन्दर लहरा उठता है हँथेली पर
आसमान खो गया आसमान में
निचोड़ लिए गए बादल पोखरे में
सबसे ऊँची अटारी पर भी गिरती है निमकौर
पूरी छत खट्टी हो गयी
पेड़ पेड़ हो गए
नदी हो गयी नदी
सूरज,चाँद,तारा खुद ही खुद हो गए
कुछ है जो कैसे हुआ जाये?
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